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॥अह नमः ॥ वन्दे वीरं जिनहरि-गुरु सर्वलोक प्रधानम् । * वर्द्धमान तप विधि *
शुद्धदेव, शुद्धगुरु और शुद्ध धर्म की श्रद्धा रखते हुए आत्मस्वरूप की साधना में लीन भव्यात्मा आसोज के महीने में सुद पक्ष से इस तप की शरुआत करे। प्रारंभ में कम से कम पांच ओली तो करनी ही चाहिये। एक आंबिल एक उपवास दो आंबिल एक उपवास ऐसे पांच आंबिल एक उपवास करने पर पांच ओलियां होती हैं। आगे छह आंबिल एक उपवास. यावत् सौ आंबिल एक उपवास करने पर यह वद्ध मान तप होता है। निरंतर करने पर चौदह वर्ष तीन महीने और वीस दिन लगते