Book Title: Shreechandra Charitra
Author(s): Purvacharya
Publisher: Jinharisagarsuri Jain Gyanbhandar

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Page 502
________________ ( 482 ) इस प्रकार दूसरे भी वर्धमान तप सम्बन्धी चैत्यवंदन स्तवन स्तुति गाये जा सकते हैं। तपस्या के दिन सुबह साम प्रतिक्रमण करना चाहिये गुरुवंदन देववंदन करना चाहिये / कषायों और वासनाओं से परे रहना चाहिये / धर्मध्यान में समय बीताना चाहिये / भगवान की द्रव्य भाव से पूजा करनी चाहिये / पारणे के दिन साधर्मी वात्सल्य करना चाहिये / यथाशनि दर्शन ज्ञान चारित्र में आत्मा को लगानी चाहिये। इससे अात्मा परमात्म पद को प्राप्त होजाता है। // इति श्री वर्धमान तप विधिः //

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