Book Title: Shreechandra Charitra
Author(s): Purvacharya
Publisher: Jinharisagarsuri Jain Gyanbhandar

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Page 498
________________ ( ४७८ ) ढाल--१ (तर्ज-जिया बेकरार है नैया मझधार है ) तप से बेडा पार है तप ही तारणहार है। सुनलो भवि प्राणी तप-जगमें जय जयकार है। हो गणधारी श्री गौतम स्वामी शासन पति अनुगामी हो शासन पति अनुगामी हो वैशाली के समवसरण में उपदेशे अभिरामी हो तप से बेड़ा पार है ।। हो परम उपासक चेटक राजा गण शासक गुणखाणी हो गण शासक गुणखानी हो। परम गुरु पद वन्दन करके, सुने सुधामय वाणी हो सुने सुधामय वाणी हो ।तपा हो करम काठ को मेदनहारा, तप ही तेज कुठारा हो तप ही तेज कुठारा हो । क्षमा सहित जन जो कर पायें, " तप मंगल श्रीकारा हो तप मंगल श्रीकारा हो ।तपा सब तप में आंबिल तप जानो, विधन धनायन टारे हो विघन घनाघन टारे हो।

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