SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 484
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४६४ ) मिच्छा मि दुक्कडं सुखसागर भगवान जिन-हरिपूज्येश्वर आप। परम-गुरु मेरा हरें, पाप-ताप मां-बाप !॥ श्री कवीन्द्र गुरु योग तें-बीकानेर मुठाम । इस सिरिचन्द चरित्र को-पूरा किया तमाम ।। पुण्य विवेक दयामयी-पूज्य दयागुरु पास । इन्द्रिय निधि निधि चन्द्रमित-वर्ष दीवाली खास ॥ बुद्धिश्री ने यह लिखा-है यह प्रथम प्रयास । . तपकर्ता तप साधकर-पावें आत्म प्रकाश ॥ ॐ तत्सत्-गुरूभ्यो नमः विक्रम संवत् १९६५ को दीपावली के दिन बीकानेर में ____ पूज्य श्री दयाश्रीजी महाराज की अन्तेवासिनी ... साध्वी बुध्दिश्री ने श्रीचन्द्र चरित्र को हिन्दी भाषा में लिखकर पूर्ण किया । इति शुभम् ELEBRes
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy