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( १ ) को जाते देखकर उनकी सती-स्त्री उर्मिला ने भी साथ चलने का मनोभाव प्रकट किया था ? तब लक्ष्मण ने कहा था, कि उसके साथ रहने से उनके आराध्य देव राम की उपासना और सेवारूपो उद्दश्य में बाधा पहुँचेगी । अतः उसका साथ चलना ठीक नहीं । उर्मिला ने अपने पति लक्ष्मण की उद्देश्य सिद्धि में विघ्न बनना उचित नहीं समझा और अपना धर्म विचार कर साथ जाने का इरादा छोड दिया । अतः तुम भी मेरी अज्ञा को अपना धर्म मान कर साथ चलने का इरादा त्याग दो,
और यहीं रहो । यदि तुम्हारा मन यहाँ न लगे तो अपने मायके अथवा ननिहाल इत्यादि अपने इच्छित स्थानों पर रहती हुई तुम देव पूजादि धार्मिक कृत्यों में रत रहकर मेरे कठिन मार्ग को सुगम बना सकती हो । क्यों कि तुम्हारे धर्म और शील के प्रभाव से मेरे सारे अनिष्ट नाश हो जायेंगे तथा मैं सुख और शान्ति का अनुभव करूंगा।
इतना कहकर कुमार ने उसके आंसू पौंछे तथा यथेप्सित वस्तुएं प्रदान कर हित की बातें समझाकर तथा दास दासियों सखी सहेलियों व मित्र की उनको भलामन देकर जाने को तैयार हुआ।