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( २७१ ) __' मालिन ने जाकर मेरा संदेशा राजकुमारी से कह सुनाया। मेरे प्रति अनुराग बढाने के लिये कोई उपाय उसने वाकी नहीं छोड़ा। खून प्रलोमन दिया मगर वह टस से मस न हुई मालिन ने जब उसे यह कहा कि दुनियां में ऐमा चतुर आदमी खोजने पर भी नहीं मिलेगा तब उसने मुस्कराकर बोलने के लिये अपने होंठ खोले।
उसने कहा, "मालिन ! अगर तुझे उसकी दक्षता का इतना गर्व है तो ले देख, मैं अभी उसकी चतुराई का पता लगा लेती हूँ।"
___यह कह कर उसने पुष्प-राशि में से लाल कनेर के एक पुष्प को उठालिया, और उसे दोनों कानों में धारण कर उसे देखे बिना ही दूर फेंक दिया । इसके बाद उसने एक कमल उठाया और फिर उसे देखकर अपनी छाती से लगा लिया। फिर उसने मालिन से कहा, "हे मुग्धे ! तू उसके पास जा और मैंने जो कुछ अभी तेरे सामने किया है उसका उन्नर ला। इसके बाद ओर कुछ पता लगावेंगे।"
मालिन ने घर आकर सारी बातें मुझे कह दी। परन्तु मैं राजकुमारी के भावों को न समझ सका और न उसका उत्तर ही दे सका। क्या करूँ? कहां जाऊं?