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( ३६२ ) करवा कर नये नगर और पुरे बसाये। दान पुण्यों से, उत्सवों से, धर्मशाला, मन्दिर, विद्यालय, ज्ञान भण्डार, छात्रावास, अन्नक्षेत्र, औषधालय, उद्योग मन्दिरं आदि. नये निर्माणों से दुनिया में त्याग का एक आदर्श पैदा किया। सारा संसार उसी परीपकासा धर्मात्मासन श्री चन्द्र के गुणों को गाने लगा। - कल्याणपुर से आये किसी यात्री ने एक बोजना श्री चन्द्र से कहा कि कनकपुर में आजकल बड़ी गड़बड़ी चल रही है। वहां का राजा तो न जाने अपने राज्य भार को मन्त्री लक्ष्मण के कंधे पर डालकर कहीं चला गया है। लक्ष्मण पर गुणविभ्रम आदि छह राजाओं ने मिलकर चढ़ाई कर दी है। मंत्री लक्ष्मण यथाशक्ति अपनी फौज के साथ विरोधियों से टक्कर ले जरूर रही है पर-घणं जीते रे लक्ष्मणा-वाली कहावत' चरितार्थ हो' जाय ऐसी सम्भावना है। __ यह बात सुन कर राजा श्रीचन्द्र का मुह मारे क्रोध के तम तमा उठा । उनी भुजाय फडकनै लगी। उन्होंने होठ काटते हुए मंत्री गुणचन्द्र से कहाँ तुम अभी पदम नाभ आदि राजाओं को सेना सहित साथ लेकर जाकर और शत्रुओं की अपनी करणी का फल चखों दी।