________________
और सहा से विभूषित उस श्रीचन्द्र को अपने घर से खाया। पति-पत्नी ने मिल कर बड़ी धूमधाम से उसका अन्मोत्सव मनाया। वह लक्ष्मीवती की गोदी में शुक्स पच के चन्द्रमा की तरह बढ़ने लगा। ..
इधर महारानी सूर्यवती को नवजात पुत्र के विरह में अतीव व्याकुल देख, राज्य की कुल-देवी ने रात्रि में
आकर यह आश्वासन दिया कि भद्र ! दुःखी मत हो तुम्हारा पुत्र श्रीचन्द्र तुम्हें बारह वर्ष बाद मिल जायगा।
इस प्रकार प्रारम्भ से लेकर पितृमिलन तक उन्होंने उसका सारा चरित्र कह सुनाया। इसके बाद उन्होंने सुग्रीव को सम्बोधित करते हुए कहा, राजन् ! देखो ! यह वही श्रीचन्द्र तुम्हारे सामने विद्यमान है जिसका उज्ज्वल चरित्र मैं तुम्हारे सामने अभी कह रहा था । महाराज प्रता'सिंह, महारानी सूर्यवती, रानी चन्द्रकला और गुणचन्द्र
आदि सारा परिवार यहाँ पर मौजूद है । यह सुन कर वहां पर उपस्थित सारी जनता ने एक साथ श्री चन्द्र को 'धन्य २ कही।
बाद में कुमार श्री चन्द्र ने भी प्राचार्य महाराज से बड़ी नम्रता पूर्वक पूछा कि महाराज ! मैंने पूर्व-भव में जिनेश्वर भगवान् द्वारा बतलाया हुआ ऐसा कौन सा