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प्रधान मंत्री मुखचंद्र भी नहीं है। उन्हीं के कनकपुर राज्य के मंत्री लक्ष्मण से मिलकर पा रहा हूँ। अभी वहां युद्ध चल रहा है। इसके बाद उसने राजा श्रीचंद्र और मंत्री गुणचंद्र के विवाह आदि का भी जिक्र किया। ___महाराजा ने सेठ आदि के पत्रों को अलग अलग देकर अपना पत्र पढना शुरु किया। पुत्र की पत्र-लेखन की चतुराई व युक्तियों से वे बहुत प्रसन्न हुए । कवि हरिभट्ट ने श्रीचन्द्र की जीवन घटनाओं को गा गाकर सुनाया। महाराजा ने भी अपने पुत्र और पत्नी के समाचार पाकर भारी प्रसन्नता का अनुभव किया। नगर में कई महोत्सव हुए । गुप्त वेश में वहीं बैठा हुआ कुमार श्रीचन्द्र बहुत प्रसन्न हुआ। धनंजय को कुमार का संदेश था कि चंद्रकला को अपने पीहर से लिवा कर श्रीगिरि पहुंचा देना। ऐसी आज्ञा को पाकर धनंजय शीघ्र ही वहां से चला और रानी चंद्रकला को उनके पीहर से श्री पर्वत पर पहुँचाने गया।
इस प्रकार कुशस्थलपुर में सर्वत्र खुशी का साम्राज्य या गया।