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अस्तं गते दिवानाथे आमोरुधिर मुच्यते ।
अन्नं मांस-समं प्रोक्तं मार्कण्डेय महर्षिणा॥ सूर्य-अस्त हो जाने पर पाणी पीना एक प्रकार से खून पीने जैसा होता है, और अन्न खाना मांस सने जैसा ऐसा मार्कण्ड महर्षि ने बताया है।
आप लोगों से मेरा अतिम कहना यही है, कि अगर आप लोग अपना भला चाहते हैं, तो चौरी, डकैती, जीव-हिंसा, मांस-भक्षण, मद्य--पान आदि का सर्वथा त्याग कर देना । अभी तो मुझे जाना है, वापस आउंगा तब सारी दहेज-सामग्री को और आपकी कन्याको मैं ले जाउंगा।
कुमार की हित की बातें सुन कर सभी लोग बड़े खुश हुए, और उस रोज से चोरी डकैती के नियम लेकर अपने आप को दुर्गति से बचाया, और धर्म के अधिकारी हो गये। कुमार श्री चन्द्र मदनसुदरी की खेज में एक दिन वहां से अपने सुवेग रथ में निकल
___कल कल करती गिरि-नदी बह रही थी। नावों में लोग हम खोरी का मजा लूट रहे थे। धोबी कपडे धोने में और दूसरे लोग न्हाने धोने में लगे हुए-गमा