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( ३६७ ) ___ महाराजा प्रतापसिंह ने अवधूत' की सलाह से अपने अंग रक्षक सैनिकों को बुलाया। सैनिक महाराज को जीवित देख बड़े प्रसन्न हुए, और उन्होंने महाराज की: आज्ञा से जप आदि राजकुमारों को गिरफ्तार करलिया। महाराजा राजसभा में आये ! अधिकारीगणः विस्मित और हर्षित हुए । महाराजा ने. अवधूत. से. कह्म-आपने मेरे प्राण बचाकर -- के आभारित किया है। मेरा आधा. राज्य ग्रहम्म करके मुझे उऋण बनाइये । पर वह लेने को तैयार नहीं होता। ठीक ही कहा है किसी ने
मंगतों की मंगतों से सगाई . . . . . वे मांगते हैं वे देते ही नहीं।
क्ड़ों की बड़ों से सगाई . . . वे देते हैं वे लेते ही नहीं।
, इधर सातवें दिनः साढनियों की सेना के साथ मंत्री बुद्धिसागर कुशस्थलपुर में आ पहुंचे । महारान की प्राज्ञा से उनका राजसभा में प्रवेश हुआ । स्वागत सत्कार के बाद मंत्री बुद्धिसागर ने साथ लाये हुए पत्र महाराजा के सामने पेश किये और कहा कि-महाराज ! मैं आपके पुत्र राजा श्रीचन्द्र का मंत्री हूं। बीणापुर से आया हूँ। वहां महारानी सूर्यवती जी अपने पुत्र के साथ सकुशल हैं।