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से निवृत्त हो चुका था । वह अपने हृदय में कई प्रकार की आशाएं और उमंगें लिये अपने महल के झरोखेमें बैठा चौराहे और पनघट की शोभा को निहार रहा था । इसी बीच में कुछ पनिहारियों को बातचीत की भनक उसके कानों में पड़ी ।
एक सखी ने दूसरी से कहा, सखि ! क्यों भागी जारही हो ? दूसरी ने उत्तर दिया, क्या तुम्हें यह मालूम नहीं है, कि आज हमारी राजकुमारी का विवाह - दिन है । कुमार श्रीचन्द्र और कुमारी प्रियंगुमंजरी दोनों ने आचार्य गुणधर से सब प्रकार की शिक्षा पाई है । श्रतः विवाह के पहले उन दोनों में पद्मिनी आदि स्त्रियों के भेद और लक्षणों के विषय में बातचीत होगी, और इसके पश्चात् उनका पाणिग्रहण होगा । कारण की श्रीचन्द्र उस विषय को भली प्रकार जानता है । अतः या बड़ाभारी कौतुक होगा । इसीलिये आज जल्दी है। काम काज से निवृत्त होकर फिर राजमहल में जाऊंगी |
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मदन इस वार्तालाप को सुनकर बड़ा चिन्तित हुआ और उसने श्रीचन्द्र से यह सारी बात कही, और यह भी कहा कि मित्र ! बताओ अब क्या किया जाय ?"
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श्रीचन्द्र ने उत्तर दिया, “मित्र ! में स्त्रियों के चारों भेदों को थोड़ा बहुत जानता हूँ अतः तुम शीघ्र