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...गुणचन्द्र ने मित्र-दर्शन से गद्गम् होते हुए कहा शुरू किया--देव ! उस रोज दैनिक कार्यों की अधिकता से मै आपकी सेवा में न पहुंच सका। आपने विदेश-यात्रा की बात जरूर कही, पर आज ही यह सब हो जायगा ऐसा मुझे स्वप्न में भी ख्याल न था । ___महाराजा के आमन्त्रण पर, सेठ साहब के खोज कर ने पर, आपका न मिलना एक अतर्कित घटना के रूप में घट गया। बस, फिर क्या था ? चारों ओर खोज शुरु. हुई । आखिर मैं भाभीजी से मिला । उनके उदास चहेरे से मेरी उदासी और आशंकायें
और बढ गई। आपकी बात भी याद आगई । भाभी 'चन्द्रकलाजी ने कहा कि देवर ! आप को स्वामी इस लिये छोड़ गये हैं, कि आपके बिना माता-पिता को बहुत कष्ट होगा। ऐसा जान कर वे अकेले ही प्रस्थान कर गये । आप इस बात का प्रचार न करें कि कुमार भाभी से कुछ कह कर गये हैं। .. प्रियवर ! इस घटना से एवं आपके वियोग से मेरा हृदय बड़ा ही दुःखी हुआ। मैं ही क्यों ? महाराजा, महा शनी, सेठ, सेठानी नागरिक जिसने भी आपके गुम होने की बात को सुना, सभी रोए कलपे, और दुःखी हुए। .... उन्हीं दिनों वहां एक जानी-गुरुदेव पधारे उनने अापके जन्म की बातें कहीं। महारानी. सूर्यक्तीजी एवं