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बेटा ! इसी प्रकार एक ज्ञानी गुरु के मुँह से भी मालूम हुआ कि तेरा मेरा मिलाप बारह वर्ष में होगा । arr से मैंने उस अत्यधिक कष्टमय समय को पार किया दैव योग से आज तेरा मेरा मिलना हो गया ।
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दूसरीवात - मेरा यहां कैसे आना हुआ ? उसे भी सुन लें। गर्भवती होने के नाते मुझे लाल रंग के पानी में स्नान करने की उत्कट इच्छा हुई। महाराजा ने उसका प्रबन्ध कर दिया । अपने बाग की एक सुन्दर बावडी में गहरे लाल रंग से पानी को भी खून के समान लालसूख बना दिया गया मैने उसमें दिलखोल कर खूब क्रीडा की । जब मैं बाहर निकली तब मैं खून से तरबतर मांस पिण्ड के समान दिखाई दे रही थी । इतने में किसी 'भारएड पक्षी की दृष्टि मुझ पर पड़ी उसने मुझे मांसपिण्ड के भ्रम से पंजों में और चोंच में पकडे एकदम झपट से उठा कर आकाश में उडा ली ।
उड़ते २ उसने मुझे जोन्दी जानकर कोई पूर्व पुण्य से यहां लाकर इस बनमें छोड़ दी- नमो आरिहताणं -- के ध्यान से मैं जीन्दा बची हूँ। रात तो मैंने पास की एक गुफा में बीताई और प्रातः काल होते ही वहां से निकल कर घूमती हुई इधर आई हूँ। यहां आज तुझे