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रोत्रो
दिल को मजबूत करते हुए पुत्री से कहा-बेटी मत । धैर्य रखो । गुणों की परीक्षा आपत्ति में ही होती है ।
धीरज धर्म मित्र अरु नारी, आपत काल परखिये चारी ||
तुम अपने पवित्र और सच्चे प्रेम पर श्रद्धा और विश्वास रखो। वह अवश्य ही तुम्हें मिलेगा, लेकिन मिलने पर तुम उसे पहचान तो लोगी ?
पुत्री ने उत्तर दिया- पिताजी ! यहां पर जिसे मैंने देखा है, जिसके साथ सुमाषित गोष्ठी की है, उस पति को मैं भूल नहीं सकती हूँ। उन्हें मैं हर तरह से पहचान सकती हूँ। यह मुद्रिका उन्होंने मुझे प्रेम पूर्वक दी हैं । अतः जब तक पति का मिलाप न होगा तब तक में इस मुद्रिका की पूजा करती रहूँगी ।
इधर राजा की आज्ञा से मंत्रियों ने मदनपाल के पास से सारी दहेज सामग्री छीन ली। रानी द्वारा दी हुई
गूठी उसके पास न मिली तब उन्होंने उससे पूछाबताओ, वह मुद्रिका कहाँ है ? मदन ने उत्तर दियासाम द्वारा दी गई अंगूठी तो वह मेरे पास से स्वयं ले गया । यह सुन राजा सहित सब लोग बड़े हर्षित हुए