________________
( ३२५ ) श्मशान में ध्यान जमाये बैठा था, तभी वहां पर एक प्लेगकी भयंकर देवी आई । मुझे देख वह शहर की तरफ लौटने लगी। मैंने उसके पैर पकड़ लिये। उसे रोकने की कोशीश करते हुए उसके पैर का पायजेब-नूपुर मेरे हाथ आगया । उस की जांघ पर मेरे हाथ से कुछ रेखायें भी पड़ गई। ___इस बात से शंकित-मनवाले राजा ने रानी से अपनी लड़की का परीक्षण कराया। योगी के कहे मुताबिक राजकुमारी की जांघ पर रेखाओं को पाकर, राजा चिंता करने लगा कि अब क्या हो ? । उसने योगी से कहा महात्मन् ! आपका कहना सोलहों आने सच है । क्या यह ठीक भी हो सकती है ? योगी ने कहा, जरूर । पर • राजकुमारी को मेरे द्वारा अभिमन्त्रित वस्त्र पहिना कर,
आंखों पर पट्टी बांध कर हाथ पैर रस्सी से कस कर मन्त्री लोग रथ में बिठा कर नगर के बाहर 'कुछ दूर जंगल में ले जाकर छोड़ दें।.रथ वाले लोग पीछे घूमकर न देखें। इस प्रकार आठ प्रहर तक उसे जंगल में पड़ी रहने देवें । वह शक्ति-दोष से मुक्त हो जायगी। बाद में आप लोग बड़े भारी उत्सव के साथ अपने राजमहल में उसे वापस ले आना । राजाने योगी के कथनानुसार उसी हालतमें उसे जंगल में छोड़ दिया।