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इधर वे दोनों मित्र भी अपने २ घोड़ों पर सवार होकर वहां जा पहुँचे, और उसके बंधनों को काट, जंगल से अपने नगर की तरफ ले चले। रास्ते में राजकुमारी ने कहा कि क्या ये सब करतूतें देवर-महोदय की हैं ? तब सुबुद्धि ने कहा, नहीं—- ये सब करतूतें भाभी- रानी की हैं ।
इधर आठ प्रहर का समय बीत जाने पर राजा स्वयं जंगल में गया । वहां उसे राजकुमारी पद्मावती न मिली । इस दुःख से राजा का हृदय फट गया । अब बताओ यह पाप कन्या को, राजकुमार को, या मित्र सुबुद्धि कोइनमें से किस को लगा ?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कुमार ने कहा । मृतक ! मेरी समझ में तो राजा को हो लगा । कारण, कि उसने इतनी बड़ी कन्या को क्वाँरी ही क्यों रखी १ दूसरे प्रकार से चारों व्यक्ति पाप के भागी हैं । कुमार के ऐसा कहते ही मृतक उसके हाथ से छिटक कर फिर बड में जा टंगा ।
इस प्रकार कुमार के भाषण से मुरदे ने तीनचार - ऐसा किया | परन्तु कुमार ने भी हिम्मत न हारी और चौथी बार शब को बड़ से उतार ही लाया। मजबूती से
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