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( ३२८ ) उत्तर देते हुए कुमार ने कहा। शुभे ! इसे मैं श्मशान में ले जा रहा हूँ। तब उसने कहा हे महापुरुष ! मुझे मेरे पति से अन्तिम प्यार कर लेने दो। कुमार ने कहा, जो चाहो सो कर लो । इस पर वह स्त्री चन्दन आदि से मुरदे को लेप करने लगी इतने में मुरदे ने उसकी नाक काट ली। वह रोती चिल्लाती अपने गांव की ओर चली गई। ___ कुमार ने मुरदे को लाकर योगी के पास रक्खा । शव को स्नान कराकर पुष्पादि से पूजा आदि करके कुड के सामने बनाये मण्डल में सुला दिया। योगी स्वयं उसके सामने मुह करके उसके सिर के पास बैठ गया । कुमार को मुरदे के पैरों की तरफ पीठ करके बिठला कर बोला 'हे धीर पुरुष ! मैं अपनी साधना का कार्य प्रारम्भ कर रहा हूँ। तुम पीछे की ओर मत देखना' । . कुमार अपनी अंग-रक्षा करके मजबूती से बैठ गया । योगी ने मन्त्र द्वारा १०८ चावलों को अभिमंत्रित करके मृतक पर फेंके । मृतक मंत्र-देवता के प्रभाव से कुछ, उठा, पर गिर गया। कुमार तिरछी निगाह से यह सारा सेल, देख रहा था । योगी ने फिर. पहले की तरह अभिमंत्रित चावल मृतक पर डाले । पहिले की ही तरह कुछ उठ कर वह मुरदा फिर गिर गया।