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. ( ३२७ ) . सारी बातें कह सुनाई । सुबुद्धि ने उस से कहा कि तुमने वहाँ पर मेरा नाम फिजूल ही लिया। वार्तालाप समाप्त होने पर दोनों उठ खड़े हुए । प्रातः काल हुआ ही चाहता था, अतः वे दोनों शौचादि से निवृत्त होने के लिये चले गये। - सुबुद्धि मंत्री : पुत्र जब शौचादि से निवृत्त हो कर आया तो उसने अपने लड्डुओं पर बैठी हुई मक्खियों को मरा पाया ! उसे यह निश्चित हो गया कि ये लड्डू विषैले हैं अतः उसने उनको पृथ्वी में गाड़ दिया। जब राजकुमार
आया तो उसने उसे इस बात से सूचित कर दिया। यह सुन कर वह दंग रह गया। सुबुद्धि ने उसे कहा कि आज रात्रि में जब तुम वहां जाओ,तब तुम मेरे कथनानुसार कार्य करना । उसने मित्र के कथन को बिना किसी बाधा के स्वीकार कर लिया। .. दोनों मित्र मोजानादि से निवृत्त हो, सार्यकालीन कृत्यों में जुट गये । अंधेरा बढने लंगा राजकुमार सकता नुसार राज महल में पहुँच गया। रात के तीन प्रहर मामोदप्रमोद में बीता दिये। राजमारी को नींद ने ओरा। वह सो गई। कुमार ने दोस्त के कहे अनुसार उसको जंघा पर तीन रेखाएं खींच दी, और उसके पैर का
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