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( २६७ ) और कुमार श्रीचन्द्र के परोपकार, धैर्य, बुद्धि तथा साहस की एवं कन्या के भाग्य की सराहना करने लगे। राजा ने कुछ धन देकर मदनपाल को जिन्दा छोड़ दिया। अपने विश्वासपात्र सेवकों को श्रीचन्द्र की खोज में भेजा। आसपास के सारे प्रान्त छान डाले । कुमार का कहीं अतापता न चला । तब वे निराश होकर लज्जित अवस्था में राजा के सम्मुख उपस्थित हुए। राजा उनकी बात सुनकर दीर्घ और गर्म सांस छोड़ते हुए बोला-किसी अच्छे दिन श्रीचन्द्र की खोज में सुयोग्य मंत्रियों को कुशस्थलपुर भेजूंगा । इस प्रकार सब अपने अपने स्थान पर चले गये और अपने अपने काम में लग गये ।