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फलती है और रानी बनती है। जो स्त्री हरिणी के समान दृष्टिवाली, कोमल अगवाली, हरिणी के समान गर्दन और उदर वाली तथा हंसी के समान चाल वाली होती है वह अवश्य रानी होती है। जिस स्त्रिी के घुघराले साल और गोल मुह तथा दक्षिण की ओर मोरी वाली नाभि होती है वह बड़ी ही प्रेम पात्र होती है। जिसकी उंगलिये बड़ी बड़ी और लम्बे लम्बे केश होते हैं वह भी बड़ी उम्र वाली और धन धान्य से भरपूर होती है। जो स्त्री कृष्ण की तरह श्याम, चम्पक पुष्प के समान गौर वर्णवाली स्निग्ध अंग और बदनवाली होती है वह बड़ी सुखी होती है । जिस स्त्री के हँसने पर ललाट में स्वस्तिक का चिन्ह होता है तो वह हजारों वाहनों सवारियों की स्वामिनी होती है। जिसके बांए पार्श्व में, गले में, अथवा स्तनों पर मस्से, तिल आदि कोई चिन्ह हो तो वह सर्व प्रथम पुत्र पैदा करती है जो स्त्री कम पसीने वाली, थोड़े रोएं वाली, कम आहार और कम निद्रावाली होती है और जिसके शरीर पर रोए नहीं होते हैं वह उत्तम 'लक्षणों वाली कही जाती है। जिस स्त्री के जांघों स्तनों और होठों पर रोए होते हैं वह शीघ्र ही विधवा ही जाती है। जिसकी पीठ में भौरी होती है वह अपने पति का नाश कर देती है। हदय में भावत (भौरी)
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