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भार हमारे जान मालकी रचा किजिएँ या हमें नाहीं कह दीजिए जिससे हम आपके मरोसे न रह कर अपने बड़े स्वामी कुशस्थल के महाराज से अपनी रक्षा की प्रार्थना करें। ___ प्रजा का उपालम्भ सुन कर राजा बहुत डरा । बड़े सत्कार के साथ उसने प्रजा-जनों को उनकी रक्षाका
आश्वासन दिया। उसी वख्त राजाने सिपाहियों को भेज कर नगर रक्षक को बुलाया और खूब फटकारा । ... नगर रक्षक ने निवेदन किया "स्वामीन् ! वह कोई सिद्ध-चोर है। अतः नगर के रक्षकों को दिखाई नहीं देता है, फिर भी मैं आज से उसे पकड़ने का भरसक प्रयत्न करूंगा।
इतना कह कर वह नगर रक्षक चला पाया और प्रजाबन भी आश्वासन मिलजाने पर सन्तुष्ट होकर अपने अपने घर चले गये। रात्रि में नगर रक्षक ने बड़ी सावघानी के साथ पहरा दिया, और अपने सेवकों को कड़े पहरे पर लगा दिया, पर वह चौर उसे कहीं पर भी नहीं मिला।
चोर को नगर रचक की प्रतिज्ञा किसी तरह मालूम पानीमा उसने उसी के घर में चोरी की और चलता