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(85) से भर कर पुनः गुफा में प्रविष्ट होगया। थोड़ी देर बाद वह फिर गुफा से निकला, तथा गुफा के मुह को शिलाखण्ड से बंद करके बावडी पर आया । घुमले वस्त्र पहने मुह से पान चबाता हुआ, अस्त्र शस्त्र से सुसजित कह नवयुवक बहुत ही सुन्दर प्रतीत हो रहा था । उसने बावडी के पानी से खुब कुल्ले किये और एक गुटिका को मुंह में रखा । गुटिका के प्रभाव से वह पहले की तरह मदश्य होगया और नगर की ओर चला । १. कुमार इन सब बातों को वडी ही सावधानी से देख रहा था। उस सिद्ध पुरुष के वहां से चले जाने पर कुमार बाहर निकली और उसने धूप में उसकी छाषा को नगर बी पीर मति देखा थोडी देर बाद जब कुमार को उस* बहुत दूर निकल जाने का विश्वास हो गया, तो वह शोध ही उस पर्वत कादरी के पास आया और बड़ी मुरकिल से उस शिलाखण्ड को दूर किया । एवं उस गुफा में प्रविष्ट हुमा ।
मह साहसी पड़ी निर्भयतासे उसमें आगे बढता झारहा धान थोड़ी दूर चलने बाद उसे एक सुन्दर और विशाजमवान दिखाई पड़ा। वह तुरुन्त उसमें घुस गया। वहां का वैभव तथा धनको देख कर वह चकितसा हा गया। कुछ आगे बढने पर मकान के मध्य भाग में एक रत्न