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( २२४ ) भृगु की सेना इधर भा रही है। वह चौर और में पाचों पथिक वहां से नौ दो ग्यारह हो गये। ___ वहां पर एकान्त हो जाने के बाद कुमार ने उठकर उस शिला के नीचे से वे दोनों पगड़ियां निकाल ली। गुटिका लेकर कुमार ने अपने मुह में रख ली और भइश्य होकर पेड़ पर चढकर बैठ गया।
इतने में राजा भृगु की सेना वहां आ पहुंची खोजियों ने पैरों के निशान खोज ने शुरु किये । अन्त में खोज करने के बाद उन्होंने राजा से कहा-राजन् ! यहां तक तो पदचिह्न मिलते हैं पर इस स्थान से आगे तो दिखाई नहीं पड़ते । राजा ने फौरन मंत्री को हुक्म दिया कि जन्दी से उस दुष्ट का पता लगाओ। वह यहीं कहीं छिपा हुआ मालूम पड़ता है।
जो आज्ञा कहकर मंत्री ने सिपाहियों को पता लगाने के लिए आदेश दिया । सिपाहियों ने आसपास के जंगल, पेड़, गुफाएँ, खोखल तथा नदी तालाब सब कुछ छान डाले पर उस चोर का कहीं पर भी पता न चला। अन्त में निराश होकर रात में वह सेना अपने नगर को वापस लौट गई।