________________
. उठा और बोला-अरे अमर ! तूने मुझे नींद. से क्यों
जगाया ? क्या कहना चाहता है ? और तू क्या करना चाहता है ? इन लाल लाल आँखों से.तू किसे डराता है ? . मैं तेरे घमंड को अभी चूरमूर कर दूंगा। इतने दुराचार
और कर कर्म करके भी अभी क्या तू तृप्त नहीं हुआ ? जो तू मेरी सुखनिद्रा का भंग कर रहा है एवं इन सती रानियों को तुने कैद कर रखा है। अगर तुझे यहां जिन्दा.रहना है ? तो तू अभी भी कहीं चला जा । मैं तुझे मार ने में भी अपना गौरव नहीं समझता हूँ। अतः तू.जा.! चला जा..!!.
इस प्रकार कुमार के वचन सुनकर राक्षस हक्काबक्का हो गया। कुमार के पुण्य से हतप्रभ होकर, राक्षस शान्तवृत्ति से कहने लगा-हे साहसी ! मैं तुम्हारें; बल और पराक्रम से अत्यन्त प्रसन्न हूँ । अतः तुम मुझसे कुछ मांगो।
. यह सुन कुमार ने उसे कहा-असुर ! देखो तुमने मुझे नींद से जगा कर तकलीफ पहूँचाई है। अतः तुम मेरे पैर के तलुवों को अपने हाथों से मलो जिससे मुझे कुछ आराम मिले । कुमार की गंभीर मुखमुद्रा और निर्भीकता को, देख कर किं-कर्त्तव्य-युद्ध जैसे राक्षस ने ज्यों ही