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( २६० ) सदामति नगर में गये, और मानपूर्वक उसे बुलाकर मेरे पास लाये।
. मैंने चन्द्रलेखा को उसकी गोद में बिठाकर उसे पूछा हे भाई ! जरा यह तो बताओ कि इस कन्या का पति कौन होगा, तथा वह कब और कहां प्राप्त होगा ।
.. कुछ देर विचार कर के उसने कहा-बहिन ! सुनो। महाराज प्रतापसिंह का पुत्र चन्द्रकला नामकी राजकुमारी के साथ विवाह करलेने के पश्चात् इसका पति बनेगा। इस बात में किसी तरह का सन्देह मत करो। आप सब लोग खदिर वन में चले जाओ । आपको वह व्यक्ति वहीं मिलेगा। वहां पर राजादनी-वृक्ष के नीचे आकर बैठते ही वह वृक्ष दूध वरसाने लगेगा । इससे आप लोग चन्द्रलेखा के भावी पति को सहज में ही पहचान पावेंगे।
___उसके द्वारा दिए श्लोक पत्र को और उसके बचनों को स्वीकार, करके तथा यथायोग्य उसका सत्कार करके हम लोग अपने परिकर के साथ इस खदिर वन में चले
आये हैं। यहां आकर हमने दो मनुष्यों को योगी का वेश पहनाकर कन्या के वर की खोज में कुशस्थलपुर भेजा था। वे वहां जाकर यहाँ पर वापस लौट आये हैं । उन्हों