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की पद्मिनी कन्या श्रीमती चन्द्रकला ने पूर्वमको के स्नेह से प्रेरित हो जिससे त्याः शिवा ऐसे श्री चन्द्रकुमार की जय हो। .. इस गीति को सुन कर एक पथिक बोला अरे भाई ! तुमने तो अनर्थ कर डाला । वह श्रीचन्द्र कुमार तो सेठ का पुत्र है उसे राजपुत्र कैसे बता रहे हो। यह सुन बैतालिक ने कहा-भाई ! सुनो जब मैं कुशस्थल में था, तभी पद्मिनी चन्द्रकला विवाहित हो कर आई थीं। कुमार ने बीणारव को मुहमांगा दान रथ और घोडों का दिया था । एक दिन तिलक पुर के मंत्री धीरने महाराजा प्रताप सिंह से तिलक मंजरी को ब्याहने के लिये कुमार श्रीचन्द्र को भेजने के लिये निवेदन किया था । उसी रोज कुमार गुप्त रीति से कहीं चला गया है । खोज शरु है, मगर वह नहीं मिला है। एक दिन वहां एक ज्ञानी गुरु का आगमन हुआ था। राजा. रानी, सेठ सेठानी आदि सभी दर्शन करने लिये गुरु के पास पहुचे थे, गुरुजी ने धर्मोपदेश दिया था । महारानी सूर्यवती ने अपने पुत्र के लिये गुरु महाराज से पूछा था । ज्ञानी गुरुने कुमार श्रीचन्द्र को उनको अपना अंगज पुत्र बताया था
और सेठ सेठानी पालक माता-पिता ही हैं ऐसा फरमाया था। उन्ही ज्ञानी गुरु ने फरमाया है कि श्रीचन्द्र कुमार. अभी