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जटित. पलंग पर बैठी हुई एक हि युवती उसे दिखाई पडी । उसने उस युवा स्त्री को ही हमदर्दी के साथ पूछाहे बहिन ! तुम कौन हो ? और यहां अकेली कैसे रहती हो।
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.. कुमार के प्रश्न को सुनते ही उसकी आंखों में पानी भर आया और वह गद् गद् स्वर में बोली-हे भाई ! सुनो, नायक-नामके नगर में बहुत से ब्राह्मण-व्यापारी रहते हैं । वहां राजा भी ब्राह्मण तथा अधिकारी वर्ग भी ब्राह्मण हैं । वह गांव ही ब्राह्मणों का है। वहां के मन्त्री रविदत्त ब्राह्मण की में विवाहिता स्त्री हूँ। मेरा नाम शिवमती है। मेरे यहां आने की कथा में तुम्हें सुनाती हूँ सो
आप ध्यान देकर सुनिये। ... हमारा नायक नगर धन धान्य से परिपूर्ण है । बडे २ धनाढ्य अपने निवास से उसे अलंकृत कर रहे हैं । ऊंची२ अट्टालिकाएं और चौडे चौडे एक पंक्ति में बने हुए बाजार उसकी शोभा को बढ़ा रहे हैं । वह नगर व्यापार का बड़ा भारी केन्द्र है, और वहां के निवासी सभी प्रकार से बड़े सुखी हैं । परन्तु इन दिनों वहां पर बड़ी ही अराजकता फैली हुई है। चोरीयों का जोर वहां पर दिन प्रति दिन बढ़ता ही जारहा है। इस कारण लोग वहाँ बडे ही दुखी हो रहे हैं। एक दिन सबने मिलकर राजा से प्रार्थना की कि या सी
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