________________
( १८ ) साथ वन में रहकर असम कष्ट न सहे ? क्या राजपूत रमणियां पतिवियोग में जिन्दा जलकर नहीं मरी ? आप शास्त्रज्ञ होते हुए भी सती माहात्म्य को क्यों भुला रहे हैं ? आप महान् हैं, अतः किसी भी समय तथा किसी भी स्थान पर, आपको दुःख बाधित नहीं कर सकते । पर मुझ तुच्छ नारी को आपके बिना स्वर्ग में भी सुख प्राप्त नहीं हो सकता । मैं आपके साथ पथ-बाधा बनकर न रहंगी तथा आपकी सेवा करती रहूंगी। अतः हेप्राणाधार ! मुझे साथ चलने की आज्ञा दीजिये। ___यह सुन करुणा हृदय कुमार बोला पद्मिनी ! तुम्हारा कथन अनुचित नहीं पर मार्ग की कठिनाइयाँ तुम्हारे कोमल शरीर से कैसे सही जायगी । सूर्य की प्रचण्ड किरणों से संतप्त पृथ्वी पर तुम चलने में कैसे समर्थ हो सकोगी। कहीं मार्ग में बसेरा मिलेगा कहीं नहीं, मार्ग में पद पद पर तुम्हें दुःख होगा, और तुम्हें दुःखी देखकर मुझे दुःख होना अवश्यम्भावी है अतः जितना उपकार तुम घर पर रह कर मेरा कर सकती हो उतना साथ रहकर नहीं ! तुम्हारे साथ रहते हुए मेरे उद्देश्य की सिद्धि में भी कई बाधाएँ उपस्थित हो सकती हैं। क्या तुम्हें मालुम नहीं कि राम के साथ वन में लक्ष्मण