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जननी जगे तो भक्त जग कां दाता कां शूर । नहीं तो रहिजे बांजणी मती गमाने नूरं ॥
हे मां ! अगर संतान पैदा करनी है तो भक्त संतान पैदा करना, चाहे तो दानवीर सन्तान पैदा करना, चाहे वीर सन्तान पैदा करना । जैसी तैसी सन्तान पैदा कर के नूर गमाने से तो अधिक अच्छा हो कि तू बांझ बनी रहे ।
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गेकर रोटी मांगने वाली संतान के मां-बाप संसार में इज्जत नहीं पाते । भक्तों को दानवीरों की, और शूर वोरों की संसार में महिमा गाई जाती है, और उन्ही के पूर्वजों के नाम भी स्वर्णाक्षरों से इतिहास में कथाओं में और गीतों में गाये जाते हैं । श्रीचन्द्रकुमार भी अपने