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से विदाइ लेकर कहीं जाता है। । अरे बेटा मुझे छोड के कहां मसा रे इस तरह से सेठानी ने भी बेहद दुःख किया ।
जिस प्रकार पानी में पड़ा हुआ तैल, दुष्ट को कही हुई गुप्त बात, एवं पात्र में दिया हुआ दान अपने आप फैल जाता है, उसी तरह कुमार के एकाएक कहीं गुम हो जाने की बात भी सारे नगर में फैल गई । राजकुल में भी उसकी चर्चा हुई । महारानी और महाराजाने भी सुना । सर्वत्र व्याकुलता छा गई । सेठ लक्ष्मीदत्त ने अपने आदमियों को भेज कर पुत्र वधु पद्मिनी चन्द्रकलाको राजकुल से बुलवाया। महारानी की आज्ञा लेकर वह अपने सुसराल में प्रागई । उससे भी पूछताछ हुई । गुणचन्द्र ने कुछ संकेत पा लिया। पर उसने उस संकेत को हितैषी होने के नाते गुप्त ही रखा । . इधर महाराज प्रतापसिंहने श्रीचन्द्रकुमार की खोज में सभी ओर अप' सिपाही भेजे । उन्होंने देश का कोना २ छान लिया, मगर वे कुमार को कहीं भी न पा सके । तीन दिन तक सारी नगरी में शोक सा छा गया । न तो. बाजार ही खुले, और न कोई व्यवसाय ही हुआ । सारे आमोद प्रमोद बंद हो गये। सब के चेहरे उदास और. चिन्तित दिखाई देते थे। ... ... ... ... ....
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जाता।