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( १२० ) करे ? क्या पृथ्वी निर्वीरा हो गई है ? क्या राजकन्याको आजन्म क्वाँरी रहना पड़ेगा ? ठीक है पृथ्वी वीरों से खाली हो गई है। अब भविष्य में ऐसे कठोर प्रण करने का किसी को साहस नहीं करना चाहिये।
भट्ट की उस तर्जना भरी वाणी से श्रीचन्द्रकुमार की वीरता जाग उठी । मित्र की प्रेरणा ने उस उठती आगमें घृत की आहुति का काम किया ! वह शीघ्र ही उठ खडा हुआ। खंभे के सन्मुख जा पहूँचा और धनुष टंकार करके धनुष पर बाण को चढा लिया । शास्त्रोक्त विधि से उसने बाण चला कर सबके देखते लक्ष्य-भूत-राधाको वींध दिया । चारों और जयर ध्वनि से आकाश गुज उठा। प्रसन्नता से कन्या का परिवार बाँसों उछलने लगा। पुरवासी आनन्दातिरेक से "जय चिरंजीव" कह कर फूल बरसाने लगे। राज कन्या का मुख उज्जवल हो उठा । उसकी चिंता मिट गई । बडी उत्सुकता से आगे बढकर उसने कुमार श्रीचन्द्र के गले में वर माला पहिना दी।
..यह कौन है ? किसका पुत्र है ? इस प्रकार कहते हुए और उसके भाग्य-विद्या-बल-बुद्धि ओर मन्त्र विधि की प्रशंसा करते हुए राजादि सभी लोग वहां आ उपस्थित