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( १३८ ) थोडी देर बाद मित्रों के साथ तालाब के किनारे २ FIE घूमने समाएक-जमह उसमे देखाकि कोई धोबी सुन्दर और बहुमून्या प्रस्त्रों को धो धो कर धूप में शूवारहा है। कुमार की दृष्टि धूपध्में सूखती. एक बहुमूल्य और पारीक साड़ी पर साड़ी उसे देख उससे मारहा गया, और असनोमारनेमिक गुणवन्द्र से कहाँ मित्र ! इस साड़ी की
ओर देखो । गंध के वशीभूत हुए भौरे इस पर मंडरा रहे हैं । इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि यह किसी पमिनी स्त्री की साड़ी है । जिसके पसीने की पद्मगंध से प्रेरित ये भौरे इसपर मंडरा रहे हैं। कहा भी है१. पद्मिनी पद्म-गंधा च मदगंधा च हस्तिनी।
चित्रिणीं चित्र गंधाच, मत्स्य गंधा च शंखिनी ।
अर्थात-मदिनी स्त्री के शरीर में कमल के समाम सुगंध होती है.। हस्तिनी स्त्री के शरीर में हाथी के मद् केसी 'गंध होती है। चित्रिणी के शरीर में तरह २ की गंध निकलती है, और शंखिनी स्त्री के शरीर में मछती की सी गंध होती है
कुमार की बात से नारार्या माकित हुए गुणचन्द्र ने धोनी तो मला हे माई ! इस समान का नाम क्या है ? और ये बालम वस्त्र किस के हैं ? धोबीने, उत्तर दिया "भाई!