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बडा बडाई ना करे, बड़ा न बोले बोल । हीरा मुख से ना कहे, लाख हमारा मोल ॥ महापुरुषों की महत्ता इसी में है कि वे अपनी बड़ाईप्रशंसा खुद नहीं किया करते । बडे आदमी न बोलते हुए ही पूजा के स्थान बन जाते हैं। हीरा मुह से कर बोलता है-कि हमारी कीमत लाख रुपये की है ? हीरा तो नहीं बोलता, पर जौंहरी उसे मुकुटमणि बना ही देते हैं। ठीक इसी प्रकार महापुरुषों की महिमा को उनके न बोलने पर भी गुणी आदमी गाते ही रहते हैं।
कुशस्थलपुर में एक दिन श्रीचन्द्रकुमार अपने महल की छत पर खड़े हुए बाज़ार का दृश्य देख रहे थे। उनके पिता घर में किसी गृहस्थ सम्बन्धी कार्य में लगे हुए