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स मान पर हुमोल अपने कुलियों के प्रथम वियोग से व्यथित चन्द्रकला की समझामा कर शान्त किया। धर मंत्री की सेना सहित धीरे धीरे चलनेवाली. अपनी सेवा को पीछे छोड़ दिया। देखरेख के लिये अपने प्यारे मित्र गुणचन्द्र को नियुक्त कर दिया। खुद सारथी समेत: बड़े वेग से रथ द्वारा रास्ता तय करके उसी रात्री में कुशस्थलपुर के बाहर के अपने श्रीपुर स्टेट में आपहुंचा । रथ वहीं छोड उसी समय घर गया और कुटुम्बियों से जा मिला। ___ कुमार को आया देख कर माता पिता बडे प्रसन्न हुए पूछने लगे कि-बेटा ! पाँच दिन तक तुम कहां रहे ? । किसीने बलात् रोके रखा था ? या अपनी इच्छा से कहीं रुके थे ?
कुमार ने कहा पिताजी ! दीपशिखा के वरदत्त सेठ अचानक मिल गये थे। उनके आग्रह से उन के घर पर मुझे वहां होने वाले समारोह में सम्मिलित होना पड़ा। बड़ी मुश्किल से आज उन से विदा होकर आया हूं।
पिताने कहा बेटा! तुम्हारे उदार चरित्र और उज्ज्वल गुणों से हम ही नहीं महाराज प्रतापसिंह भी बड़े प्रसन्न हैं। प्रसन्नता को सार्थक करने के लिये उन्होंने