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( ६१ ) के सामने फल और द्रव्य रखकर पूछा कि हम चारों में से पिता का राज्य किसे मिलेगा ?
इस प्रकार पूछे जाने पर उसने शास्त्र की विधि से एवं अपने इष्ट से विचार करके सिर हिलाते हुए कहा कि "आप लोग ऐसा अनिष्टकारी प्रश्न क्यों करते हैं? नाराज होने की बात नहीं है। आप चारों में से किसी को भी पैत्रिक-राज्य मिलने की संभावना भी नहीं है। राज्य तो तुम्हारी विमाता सूर्यवती से उत्पन्न होने वाला राजकुमार ही भोगेगा । इसमें सन्देह की कोई बात नहीं है।
इस प्रकार उस कालज्ञ के कडुए बचन को सुन कर चारों राजकुमार क्रोधित हुए से बोले। अरे ! तुम कुछ नहीं जानते । देखा तुम्हारा शास्त्र ! और देखी तुम्हारी इष्ट शक्ति ! तुममें सोचने समझने की शक्ति की दिवाला ही मालूम होता है । वीराग्राणी जयकुमार के रहते और हम लोगोंके रहते दूसरा कौन राजा हो सकता है ? इस प्रकार राज कुमारों के क्रोधावेश को देखकर वह बोला कुमारों ! इस समय मेग चित्त स्थिर नहीं है। अभी मैं जा रहा हूँ पिर अब वापस लौटुगा तब भली प्रकार इस बात पर विचार कर भार लोगों से कहूँगा। ऐसा कह वह उठा, धन की वहीं छोड़, बड़ी शीघ्रता से वहां से चल दिया, और नाम