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राजकीय पोशाकों को पहने बडी आन बान और शान के साथ चल रहे थे । इनके पीछे मदमस्त चाल से चलता हुआ, खरेमोतियों की कालरों वाली भूल से सजा हुआ, सोने चांदी के गंगा-जमुनी हौदे को रेशम के रस्सों से कसा हुआ मनोहर चित्र कारो से सजाई हुई सूडवाला माथे पर कानों में दांतों में, और पावों में सुनहले रत्न जडित आभूषण पहना हुआ गजराज जरीकी पोशाक पहने अंकुश लिये महावत से प्रेरित होता हुआ धीरे धीरे चल रहा था । उसके हौदे में रानी की तरह आदर प्राप्त एक-सारिका बैठी थी । उसके सिर पर छत्र था । दोनों और दासियाँ चामर ढाल रही थीं । विस्मय पैदा करने वाली ऐसी सवारी को देख कर वह स्तंभितसा होकर सोचने लगा कि यह क्या घटना है ? |
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देखते २ वह सारिका हाथी के हौदे से उतर कर श्री आदीश्वर भगवान के भव्य मन्दिर में प्रविष्ट हुई। उसके पीछे पालकी से एक सुन्दर स्त्री उतरती है और वह अपने सेवकों को आज्ञा प्रदान कर रही है। पिता की आज्ञा से कुमार ने उसे पूछा कि हे देवि ! तुम कौन हो और यह पक्षी होती हुई भी मानवी के समान आचरण करने वाली सारिका कौन है ? भगवान के मन्दिर में आने का व इस