________________
( १०८ ) आपके धनघेले बेटे को कुछ होश हवास नहीं है। अगर ठीक प्रबंध न किया तो आपको भीख मांगनी पडेगी। दूसरे लोगों ने जहां मोटे ताजे तगडे घोड़ों की कीमत थोडी दी है वहां आपके इस कुमार ने पतले दुबले घटिया दर्जे के घोड़ों की कीमत लाख लाख रुपया देकर चुकाई । उसमें भी तुर्रा यह कि आप को पूछा तक नहीं। अरे बाबा ! आपको वह कुमार तिनके के बराबर भी कब मानता है ? हम तो आपके हित के लिये कहते हैं कि सावधान हो जाओ । नहीं तो बुढापे में तकलीफ उठानी पडेगी। वह बेटा किस काम का जो बाप की आज्ञा न माने । इस कार्य के लिये उसे उचित शिक्षा जरूर दीजिये तभी ठीक होगा।
यह सब सुनकर सेठने उन लोगों को डांटते हुए कहा-अधिक बकवाद मत करो। यह जो कुछ ऋद्धि सिद्धि है वह इसी के पुण्यों का प्रताप है। वह चाहे जितना धन खर्च करे, कर सकता है। उस भाग्यशाली के धन की कमी कमी न होगी। सेठ की इन बातों से वे विघ्न-संतोषी चलते बने, और कहते गये सेठजी ! हमने तो आपके भले के लिये ये बातें बताई थी न मानो आपकी मरजी है।