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कुशस्थल नगर में धीधन मंत्री के मतिराज और सुषि रान नाम के दो पुत्र थे । दोनों मंत्री-पद से विभूषित थे। छोटे भाई सुधीराज के कमला नाम की रूपवती गुणवती सती-पतिव्रता पत्नी थी।। उसने गुणों के सामर रूप गुणचन्द्र नाम के पुत्र-रत्न को जन्म देकर अपने श्वसुरकुल में सन्मान प्राप्त किया था । मन्त्री-पुत्र गुणचन्द्र श्रेष्ठी-पुत्र श्रीचन्द्रकुमार के साथ पूर्व-जन्म के पुएससंस्कारों से अभिन्न-मित्र बन गया था। उन दोनों में क्षीर-नीर के समान घनिष्ठ प्रेम हो गया था। विनय विवेक-विचार-भक्ति और निस्वार्थ सेवा के गुणों से गुसचन्द्रने श्रीचन्द्र का मन अपनी ओर आकृष्ट कर लिया था। दोनों परस्पर में परम विश्वासी और एक मन वाले थे ।