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बजाने का आदेश देकर सीधे अन्तःपुर में महारानी सूर्यबती के पास पहुँचे और बोले, हे प्रिये ! यह रण-पात्रा अचानक आ खड़ी हुई है। इसलिये तुम सुख पूर्वक रहना, मैं शत्रुओं को बहुत शीघ्र ही जीत कर वापस लौट
आउंगा।
महाराज की इस बात को सुनकर रानी ने महाराज से प्रार्थना का, कि देव ! गर्भवती होने के कारण यद्यपि मेरा आपके साथ चलना उचित नहीं है तोभी मैं आपकी अनुपस्थिति में क्षण भर के लिये भी यहाँ नहीं ठहर सकती ! क्योंकि मुझे मेरे गर्भ के लिये अमंगल का भय श्राठों प्रहर सताता रहता है। इतना कह उसने उस निमित्तज्ञ की भविष्यवाणी और जयादि चारों राजकुमारों की बातचीत भी राजा को कह सुनाई ।
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महारानी के वचनों को सुनकर कुछ क्षण तक विचार कर महाराज बोले प्रिये ! दुःखी मत हो । सब ठीक होगा। मैं इन चारों राजकुमारों को अपने साथ ले जाऊंगा । तुम शेरनी की तरह निर्भय होकर यहीं सुख से निवास करो ।
इधर वे चारों राजकुमार महाराज का बुलावा पाकर परस्पर में सलाह करके जयकुमार को महल में ही छोड़कर जहां सामन्त यदि खड़े थे क्रम पूर्वक जा पहुँचे। राजा ने