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से शत्रुजय पर पहुँच कर साधु द्वारा बतलाई हुई विधि से तपस्या करने लगा। ___ इधर निमितज्ञ के कथन को सुनकर राजकुमार बड़े सोच विचार में पड गये। वह बात सत्य है, या असत्य है ? इसका निर्णय कर न सके । उनमें से एक ने कहा कि निमितज्ञ पाहे सत्य वक्ता हो और देवताओं की तरह सफलवाणी वाला ही क्यों न हो कोई न कोई उसकी बात अस त्य भी हो सकती है। किसी की बात को सहसा अांख बन्द करके मितान्त सत्य मान कर चिन्तित हो जाना यह कोई बुद्धिमानों का काम नहीं है।
मंत्री-पुत्र रोहिणेय देवी द्वारा बतलाये हुए भावी-संकट से बचने के लिये भूमीगृह में जा कर बैठ गया, और वह संकट उसका वाल बांका किये बिना ही आकर चला गया। इस.लिये..हमें भी कोई सफल उपाय सोचना चाहिये। जिस से हम अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।
इस बार को सुनकर बुद्धिमान जय कुमार कहने लगे भाई ! ववर्ष की चिंता क्यों करते हो जो होनी होगी सो तो होकर ही रहेगी कह तो किसी के हाथ की लान नहीं है वह कोई ऐसा सर्वज्ञ भी नहीं था, जिससे उसकी बात क्विान के श्रकों की तरह अमिट और ध्रुवसत्य मानी
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