________________
- उन्होंने उत्तर दिया कि हे राजन् ! स्वप्न में पूर्ण चन्द्रमा के देखने के कारण कलाविज्ञ, कमल के देखने से लक्ष्मीवान मन्दिर के देखने के कारण अद्भुत. धर्मात्मा छंत्र देखने के कारण संपूर्य पृथ्वी का एक छत्र शासक ऐसा मायके छत्रपति पुन होगा । यद्यपि इन स्वप्नों के भाव अतीव दुज्ञेय हैं फिर भी ये बातें तो जरूर होकर रहेंगी। . यह सुन राजो बहुत हर्षित हुए और उनने स्वप्न पाठकों का खूब सत्कार किया। अनंता महाराणी को इन स्वप्नों के भावी फलों से जल्दी ही सूचित किया।
इधर, रोहणाचल में रत्न, के जैसे. महारानी श्रीमती सूर्यवती की ख में गर्भ बढ़ने लगा । एक समय रानी को चन्द्रपान का दोहला-इच्छा हुई। लेकिन उसकी पूर्ति न होने के कारण वह, अतीव निस्तेज और दुर्बल हो गई। एक दिन राजा ने रासी, की, ऐसी दशा, देखकर पूछा कि क्या बात है, तब उसने राजा को अपना मनोरथ कई सुनाया। कैसे पूर्ण किया जाय, इस प्रकार मन में चिंतित राजा ने शीघ्र हो इस कार्य की पूर्ति के लिये मन्त्री को आदेश दिया
मंत्री ने कुछ सोच विचार कर राजा से कहा कि यह मनोरथ तो जल्दी से पूर्ण होमा श्राप चिन्ता न करें।