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समभाव को धारण करती हुई ‘णमो अरिहंताणं'-मंत्रको जपती हुई पृथ्वी पर धड़ाम से गिर पड़ी। ____ यह बात हवा की तरह सारे शहर में फैल गई। किसी ने उसके मां बाप से भी कह दिया। वे भी सिर पीटते रोते चिल्लाते वहां आ पहुंचे । भारी विलाप करने लगे । श्रीदेवी के बूढ़े मां बाप को रोते बिलखते देख कर पति धरण की आंखों में भी आंसु आ गये । वह मन ही मन अपने किये पर पछता रहा था । वह भी दुःख के वेग से विलाप करने लगा। ___ अरे ! बिना विचारे क्रोध के वश हो मैंने यह कैसा अनर्थ कर दिया । कान के कच्चे मनुष्यों की यही दशा होती है । हे प्रिये ! तूने कभी मेरी सेवा से मुख नहीं मोड़ा । कठोर से कठोर आज्ञा को सहर्ष पालन किया। यह अनर्थ मेरी अज्ञानता से हो गया है । तेरा कोई दोष नहीं है। तू सदा शांति-युक्त और क्षमामयी रही है। यह सब मेरा ही दोष है । अरे मुझ अपराधी के अपराध को उमा करदे । धरण की हालत बड़ी शोक पूर्ण थी।
. इधर लोगों ने नागिला को बहुतेरा धिक्कारा और उसकी तीव्र निंदा की । लोग बोले-यह बड़ी दुष्टा है। श्रीदेवी को इसने बहुतेरा दुःख दिया है । यह इसकी जान
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