________________
नव पदार्थ
(२) द्रव्यतः पुद्गल अनन्त हैं : संख्या की दृष्टि से पुद्गल अनन्त हैं। इस विषय में वह धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्यों से भिन्न है जो संख्या में एक-एक हैं। जीव और काल-द्रव्य से उसकी समानता है, जो संख्या में अनन्त हैं। पुद्गल द्रव्यों की संख्या अनन्त बतलाने पर भी सूत्रों में एक भी द्रव्य पुद्गल का नामोल्लेख नहीं मिलता। वस्तुतः एक-एक अविभाज्य परमाणु पुद्गल ही एक-एक द्रव्य हैं। इनकी संख्यायें अनन्त हैं। एक बार गौतम ने पूछा-“भन्ते ! परमाणु संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त ?" भगवान ने उत्तर दिया-"गौतम ! अनन्त हैं। गौतम ! यही बात अनन्त प्रदेशी स्कन्ध तक समझो।
(३) पुद्गल द्रव्यतः शाश्वत है और भावतः अशाश्वत । (४) द्रव्य पुद्गलों की संख्या में घट-बढ़ नहीं होती।
इन दोनों पर बाद में टिप्पणी ३२ में विस्तार से प्रकाश डाला जायेगा। पाठक वहाँ देखें।
२४. पुद्गल के चार भेद (गा० ४६-४८)
इन गाथाओं में पुद्गल के विषय में निम्न बातों पर प्रतिपादन है : . (१) पुद्गल का चौथा भेद परमाणु है। (२) परमाणु पुद्गल का विभक्त अविभागी सूक्ष्मतम अंश है और प्रदेश अविभक्त
अविभागी सूक्ष्मतम अंश। (३) प्रदेश और परमाणु तुल्य हैं। (४) परमाणु अंगुल के असंख्यातवें भाग के बराबर होता है।
पुद्गल की इन विशेषताओं पर नीचे क्रमशः प्रकाश डाला जाता है :
(१) पुद्गल का चौथा भेद परमाणु है : पुद्गल के चार भेदों में तीन तो वे ही हैं जो धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्य के हैं, यथा-स्कंध, देश और प्रदेश और चौथा भेद परमाणु है। धर्म, अधर्म, आकाश द्रव्यों से पुद्गल का जो वैधर्म्य है उसी से यह चौथा भेद सम्भव है। अस्तिकाय होने पर भी पुद्गल अवयवी है। वह परमाणुओं से रचित है। ये परमाणु पुद्गल से अलग हो सकते हैं। जबकि धर्म आदि तीनों द्रव्य अखण्ड
१.
भवगती २५.४