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निर्जरा पदार्थ (ढाल : २) : टिप्पणी ६ .
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(१) द्रव्याभिग्रह चर्या : द्रव्य सम्बन्धी अभिग्रह कर भिक्षाटन करना । उदाहरणार्थ भाले के अग्र भाग पर स्थित द्रव्य विशेष को लूंगा-इत्यादि प्रतिज्ञा द्रव्याभिग्रह है।
(२) क्षेत्राभिग्रह चर्या : क्षेत्र सम्बन्धी अभिग्रह कर भिक्षाटन करना । उदाहरणार्थ देहली के दोनों ओर पैर रखकर बैठा हुआ कोई दे तो लूंगा-इत्यादि प्रतिज्ञा क्षेत्राभिग्रह
(३) कालाभिग्रह चर्या : काल विषयक अभिग्रह कर भिक्षाटन करना। उदाहरणार्थ सब भिक्षाचर गोचरी कर चुके होंगे उस समय भिक्षाटन करूँगा-ऐसी प्रतिज्ञा कालाभिग्रह
(४) भावाभिग्रह चर्या : भाव विषयक अभिग्रह कर भिक्षाटन करना। उदाहरणार्थ हँसता, रोता या गाता हुआ पुरुष देगा तो लूंगा आदि प्रतिज्ञा भावाभिग्रह है।
.. (५) उक्षिप्त चर्या : गृहस्थ द्वारा स्वप्रयोजन के लिए पाक-भाजन से निकाला हुआ द्रव्य गहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
(६) निक्षिप्त चर्या : पाक-भाजन से निकाली हुई वस्तु को ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
(७) उक्षिप्तनिक्षिप्त चर्या : उक्षिप्त एवं निक्षिप्त दोनों को ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना अथवा पाक-भाजन से निकाल कर उसी में या अन्यत्र रखी हुई वस्तु ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
(E) निक्षिप्तउक्षिप्त चर्या : निक्षिप्त और उक्षिप्त दोनों को ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना अथवा पाक-भजन में रखी हुई वस्तु भोजन-पात्र से निकाली हुई हो उसे ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
() परिवेष्यमाण चर्या : परोसे जाते हुए में से लेने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
(१०) संहियमाण चर्या : फैलाई हुई वस्तु बटोर कर पुनः भाजन में रखी जा रही हो उसे ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
(११) उपनीत चर्या : किसी द्वारा समीप लाई हुई वस्तु को ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।
(१२) अपनीत चर्या : देय द्रव्य में से प्रसारित–अन्यत्र स्थापित वस्तु को ग्रहण करने का अभिग्रह कर भिक्षाटन करना।