Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 805
________________ ७८४ नव पदार्थ घन शब्द-१११ घातिकर्म-२६८-३००, ५७४ घ्राणेन्द्रिय आस्रव-३८१, ४५३ घ्राणेन्द्रिय संवर-५२५ घ्राणेन्द्रिय-बल प्राण-३० चक्षुदर्शनावरणीय कर्म-३०७, ३१० चक्षुरिन्द्रिय आम्रव-३८१,४५२ चक्षुरिन्द्रिय संवर-५२५ चक्षुरिन्द्रिय-बल प्राण-३० चतुरिन्द्रय असंयम–४७३ चतुर्थभक्त अनशन-६२६ चतुरिन्द्रयजाति नामकर्म-३३६ चन्दनबाला-७५१ चरक-६७६ चर्या परीषह-५२२ चारित्र-५२३, ५४१-४२, ५८१, ७५२ चारित्र पर्यव-५४२-४३ चारित्र-मोहनीय कर्म-३१३, ३२०, ५८६ चारित्र विनय तप-६६१ चित्त चक्रवर्ती-२५० चेतन-३४, ४०, १५३, ३०३, ७०६ चेता-३१ चैतन्य-७४६ छाया-१०६,११२ छेदाह प्रायश्चित्त तप-६५८ छेदोपस्थापनीय चारित्र-५२३ छेदोपस्थापनीय संयम-५३६ जघन्य स्थिति-३१० जगत्-३५ जड़-३३, ३४, १५३, ७०६ जड़ पदार्थ-१२१-२३, १२६ जन्तु-३५ जयन्ती-४८० जयाचार्य-५२७, ५२६-३१, ५३७, ५४६, ५८६-८७, ६१४, ६१७ जर्जरित शब्द-११० जल्ल परीषह-५२२ जाग्रत-४७६-८० जितेन्द्रिय-६८२ जितेन्द्रियता-२३२ जीव-३७१, ३६८-६६, ४२२-२४ जीव अच्छेद्य द्रव्य-४२ जीव उत्पाद-व्यय-ध्रव्य युक्त-४१ जीव और कंपन-४१३-१६, ४१७-१६ जीव और कर्म-ग्रहण-४१७ जीव और गति-११५ जीव और दुःख-३२८-६ . जीव और प्रदेशबंध-७२६-२६ जीव और भय-३२८-६ जीव और योगासव -४०५ जीव और विलय--४३ जीव और शैलेशी अवस्था-४१५ जीव कर्मकर्ता-४०४-५ जीव का अस्तित्व-२५-२७ जीव का पारिणामिक और उदयभाव-योग ४१६-२१ जीव की अवगाहना-७४५ जीव के उदयनिष्पन्न भाव-मिथ्यात्वादि ४०६-७

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