Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 816
________________ शब्द-सूची ७६५ मनुष्य (तीन तरह के)-४७६-७८ मनुष्यायुष्य कर्म-३३० मनुष्यायुष्य के बन्ध हेतु-२२५ मनुष्य गति-३१५ मनोगुप्ति-५१४ मनोज्ञ-शब्द-११२ मान-३१५ मान आस्रव-३८२ मानव-३३ माया-३१५ माया आस्रव-३८२ मायाक्रिया आस्रव-३८५ मार्दव-५१७ मित्रा, एल० एम०-१२०, १२३ मिथ्यात्व-३७४, ४०६, ४१३ मिथ्यात्व आस्रव-३७३-५, ४०६ मिथ्यात्व आस्रव और दर्शन मोहनीय कर्म ४२५ मिथ्यात्वादि जीव के भाव हैं-४०६-७ मिथ्यात्व के भेद-३७४-७५ मिथ्यात्वक्रिया आस्रव-३८२ मिथ्यात्व मोहनीय कर्म-३११-१२ मिथ्यात्वी के भी सकाम निर्जरा-६७७-६८० मिथ्यादर्शनक्रिया आस्रव-३८५ मिथ्या दृष्टि-५८२ मिश्र शब्द-११० मुक्त-५६६, ५७२, ७४२, ७५२ मुक्त आत्मा-७४६ मुक्ति -५६६, ५८८, ७२५ मुक्ति एवं योग-निरोध-३६०-६१ मुक्तिमार्ग-२३, १३२, २६९-७०, ७४०-४१ मुक्तिबनाम पुण्य की वाञ्छा-२५२-५४ मूर्छा-४५०-५१ मूर्त-२७६, २८३ मूल प्रकृतियाँ (कर्मों की)-७२१, ७२४ मूलाई प्रायश्चित्त तप-६५८ मृषावाद आस्रव-३८१, ४४८-६ मृषावाद विरमण संवर-५२५ मैथुन-४४६-५० मैथुन आस्रव-३८१, ४५० मैथुन विरमण संवर-५२५ मैथुन-संज्ञा-४७४ मोक्ष-४५, २०७, २५२, ३६८, ४११, ५०८, ५६६, ५७३, ५७५, ५८८, ५८६, ६१२, ६१३, ६७७, ६८०, ६६१, ६६२, ७०६, ७३०, ७३१-७५४, ७६४, ७६५, ७६६, ७६७, ७६८ मोक्ष का अर्थ-७४१-२ मोक्ष नवां पदार्थ-७४० मोक्ष का लक्षण-७४०-४१ मोक्ष के अपर नाम-७४१ मोक्ष के अभिवचन-७४०-४१ मोक्ष मार्ग में द्रव्यों का विवेचन क्यों ?-१३२ मोक्षार्थी जीव के लक्षण-७५२ मोहनीय कर्म-३८, ३६. १०७, १५५, ३११-२३, ४२५, ४६५, ५६६, ७१६ मोहनीय कर्म और उपशम-५८६ मोहनीय कर्म के अनुभाव-३१८-६

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