Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 819
________________ ७६. नव पदार्थ वीरप्रभु-२०-२१ वीरासनिक तप-६४६ वीर्य-३२०, ३२५, ३४०, ४१५-१६, ४७५-७६, ५८३, ५८५-६ वीर्य अन्तराय कर्म-३२५ वृत्तिपरिसंख्यान तप-६४० वृत्तिसंक्षेप तप-६४० वेद-३१ वेदना-५६८, ६२२-२३, ६७४ वेदनीयकर्म-३८, १०७, १५५, २३०, ७१६ वैक्रिय-७१८, ७२६ वैक्रिय र्काण-२८२ वैक्रिय शरीर-१०८ वैनयिक मिथ्यादर्श-३७५ वैयावृत्य तप-३१३, ३१७, ६६४-६५ वैयावृत्य से निर्जरा और पुण्य-२१३ वैराग्य-पूर्वक-६७८ वैश्रसिक शब्द-११० व्यवसायी-४८१ व्याघात अनशन-६३१ व्युत्सर्ग तप-६७१-७२ शंबूकावर्त तप-६३७ शक्ति -१२०-२४ शब्द-११०-१४, ४५२ शयन पुण्य-२०० शय्या परीषह--५२२ शरीर-३६, १०७-६, ३२० शल्य-६६२ शीत परीषह-५२१ शीलव्रतानतिचार-२१६ शुक्ल ध्यान तप-६७०-७१ शुक्ल ध्यान तप की अनुप्रेक्षाएँ-६७१ शुक्ल लेश्या-४६७ शुद्ध योग-३६१ शुद्धेषणा चर्या-६४३ शुभ अगुरु-लघु नामकर्म-१६६ शुभ आतप नामकर्म-१६६ शुभ आदेय नामकर्म-१६६ शुभ आयुष्य कर्म और उसकी उत्तर प्रकृतियाँ-१६०-६२ शुभ आहारक अङ्गोपांग नामकर्म-१६४ शुभ आहारक शरीर नामकर्म-१६३ शुभ उद्योत नामकर्म-१६६ शुभ औदारिक अङ्गोपाग नामकर्म-१६४ शुभ औदारिक शरीर नामकर्म-१६३ शुभ कर्म-१५३, २७७ शुभ कार्मण शरीर नामकर्म-१६४ शुभ गंध नामकर्म-१६५ शुभ तीर्थङ्कर नामकर्म-१६६ शुभ तैजस् शरीर नामकर्म-१६४ शुभ त्रस नामकर्म-१६५ शुभ दीर्घायुष्य के बंध-हेतु-२०६-१० शुभ देवगति नामकर्म-१६३ शुभ देवानुपूर्वी नामकर्म-१६३ शुभ नामकर्म--१६२-६६ शुभ नामकर्म और उसकी उत्तर प्रकृतियाँ १६२-६६ शुभ नामकर्म के बंध-हेतु-२२७-८

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