Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 814
________________ शब्द-सूची ७६३ प्रत्येक बुद्धि-७५०, ७५४ प्राणी-३० प्रदेश-२६, ७६-८१, ८२, ८६, ६०, ६७, प्रात्ययिकी क्रिया आस्रव-३८४ ६८, ६६, १०२, १०३, १०४, १०५, ४१७, प्रादोषिकी क्रिया आस्रव-३८३ ७१८, ७१६, ७२७-२८ प्रान्त्य आहार-६४७ प्रदेश (स्थिर-अस्थिर) और अस्रव-४१७-१६ प्रायश्चित्त तप-६५६-५८ प्रदेश और परमाणु की तुल्यता-६६ प्रायोगिक शब्द-११० प्रदेश-कर्म-७२५ प्रारम्भ क्रिया आस्रव-३८५ प्रदेश बंध-७१८, ७१६, ७२८-६ प्रिय शब्द-११२ प्रभा-१०६, ११२ प्रेक्षा असंयम-४७३ प्रमत्त-४४७ फल-७५४ प्रमत्त योग-४४७ बंध-१७७, ३६८-६६, ७१४-५, ७६६-६८ प्रमत्त संयत-४८२ बन्ध की परिभाषा-७१५, ७२३ प्रमाद-२१६, २६६, ३२०, ३२६, ३७६, । बंध के भेद-७१५, ७१६ ३७७, ३८०, ४१२, ४१८ बंधन (संसार)-२६६ प्रमाद आस्रव-३७२, ३७३, ३७६-८, ४२७, । बंध पदार्थ-६६३-७३० ४८५ बंधे हुये कर्मों की स्थितियाँ-७२६ प्रयत्न-४१३-४ बंध-हेतु-३८०, ७१०-१२ प्रयोग-क्रिया आस्रव-३८२ बल-३०, ३२०, ३४०, ४७५-६ प्रवचन उद्भावनता-२३२ बहिर्शम्बूकावत-६४४ प्रवचन-प्रभावना-२१८ बहुश्रुत-वत्सलता-२१५ प्रवचन-वत्सलता-२१४, २३२ बाईस परीषह-५२१-२३ प्रवर्तन योग-४५७-५८ बाल-४७६ प्रवृत्ति-२४४ बालपण्डित-४७६ प्रशस्त भाव-२४५, २६६ बाह्य और आभ्यन्तर तप-६५४-५६ प्रशस्त भावलाभ-४८४ बुद्ध-७४२ प्राण-३० बुद्धबोधित सिद्ध-७५०, ७५४ प्राणातिपात आस्रव-३८१, ४४६-४८ ब्रह्मचर्य-५१६ प्राणातिपात-विरमण संवर-५२५ भंडोपकरण आस्रव-३८१, ४५६ प्राणातिपातिकी क्रिया आस्रव-३८३ भंडोपकरण संवर-५२६

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