Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 813
________________ ७६२ नव पदार्थ पुद्गलास्तिकाय-२७, १२७ पुद्गल और लोक-१०४-५ पुद्गल का अविभागी अंश परमाणु-६६ पुद्गल का चौथा भेद परमाणु-६८ पुद्गल का उत्कृष्ट और जघन्य स्कन्ध-१०२-३ पुद्गल का स्वभाव-१०५ पुद्गल के गुण और शब्द-६७ पुद्गल के चार भेद-६८, ११६-१७ पुद्गल के भेदों की स्थिति-१०४-५ पुद्गल के लक्षण-१०६ पुद्गल द्रव्यतः अनन्त हैं-६७ पुद्गल परिणामों का स्वरूप-१०६ पुद्गल रूपी द्रव्य है-६५-६७ पुद्गल वर्गणाएँ-२८२, ७१८, ७२६ पुरिमाकर्धचर्या-६४४ पुरुषकार पराक्रम-३२०, ३४०, ४७५-७६ पुरुषलिङ्गी सिद्ध-७५१, ७५४ पुरुषवेद-३१७, ३१८ पुलाक निर्ग्रन्थ-५३७ पूजन-२३५, २३६, २४१ पूज्यपाद-४१५, ४४७, ४५०, ४६८-६६, ५१६-१८, ६४७, ६८०, ६८८, ७०८, ७४० पृथक्त्व -११३ पृथक्त्व शब्द-११० पृथिवी-२१ पृथ्वीकाय असंयम-४८२ पृथ्वी इषत्प्रारभार-७४३ पृष्टलाभ चर्या-६४२ पेटा भिक्षाटन-६३७ पौद्गलिक वस्तुएँ विनाशशील हैं–१०५-६ पौद्गलिक सुखों का वास्तविक स्वरूप १७१-७२ प्रकीण तप-६२८ प्रकृतिबन्ध-७१७, ७१८, ७१६ प्रकृतियाँ (कर्मों की)-१५५-६, १६०-१, १६२-६, १६७-८, २०२-३, २४७-४८, ३०३-४, ३०७-८, ३११, ३१३-१७, ३२४-२५, ३२७, ३२८, ३३०, ३३१-६, ३४२, ३४४, ५८०, ५८२, ७१६-२१ प्रगृहीता एषणा-६४३ प्रचला-३०८, ३१० प्रचला-प्रचला-३०८, ३१० प्रज्ञा परीषह-५२२ प्रणीतरस परित्याग-६४६ प्रतर तप-६२८ प्रतिक्रमण-३८७-८, ३६२ प्रतिक्रमण और आस्रव-३८७-८८ प्रतिक्रमणार्ह प्रायश्चित्त तप-६५७ प्रतिपृच्छा स्वाध्याय तप-६६७ प्रतिमास्थायी तप-६४६ प्रतिसंलीनता तप-६५१-४ प्रत्याख्यान-३८८, ५३४-५, ५४७ प्रत्याख्यानावरणीय क्रोध-मान-माया-लोभ ३१३ . प्रत्याख्यानी-४७८ प्रत्याख्यानी-अप्रत्याख्यानी-४७८

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